सनातन धर्म में दान का बड़ा महत्व है। मूलतः दान चार प्रकार के होते हैं। वस्त्र दान, द्रव्य दान, गौ दान एवं अन्न दान मनुष्य जब वस्त्र दान करता है तो उसके मानसिक पापों का नाश होता है। इसी तरह द्रव्य दान से अर्जित पापों का नाश होता है। गौ दान से पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है और जब मनुष्य अन दान करता है तो उसके दैहिक, दैविक और भौतिक पापों का नाश होता है। किसी भूखे को भोजन कराने जैसा अन्य कोई पुण्य नहीं है। इसी उक्ति को चरितार्थ करते हुए श्री बागेश्वर धाम पर प्रतिदिन मां अन्नपूर्णा का निःशुल्क भण्डारा अनवरत् चल रहा है। यहां पिछले 5 वर्षों से प्रति माह लाखों भक्त निःशुल्क प्रसाद ग्रहण करते हैं और सैकड़ों लोग अपनी सेवाएं देते हैं।
जिस तरह चन्द्रमा उदय होकर रात्रि के अंधेरे को शीतलता पूर्वक दूर करता है। वैसे ही संत प्राणियों के दुखों का हरण कर लेते हैं। सनातन संस्कृति में ईश्वर के उपरांत जगत में संत ही आपके दुखों का निवारण करने का सामर्थ्य रखते हैं। अतः जब भी अवसर मिले संतों के दर्शन अवश्य करें। संत सेवा को जीवन का अभिन्न संकल्प बनाएं, यह संकल्प आपके लिए सर्वदा हितकारी होगा।
संपूर्ण विश्व में सनातन सबसे प्राचीन और सर्वोत्तम जीवन पद्धति है। सनातन एक ऐसी संस्कृति है जो सर्वे संतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः अर्थात् सभी सुखी हों एवं सभी निरोगी रहें जैसी प्रार्थना करती है। सनातन ने सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव के साथ संपूर्ण विश्व को अपना परिवार माना है। इस संस्कृति में धर्म, कर्म और जीवन के लिए एक विराट दर्शन है। हमें अपनी वर्तमान और आगामी पीढ़ियों को सनातन की प्राचीन संस्कृति से जोड़े रखकर इसकी रक्षा करनी
जिस घर में गौपालन किया जाता है उस पर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। गौमाता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य यदि घर अथवा मंदिर में गौमाता को स्थान दे तो यह अनेक कष्टों से मुक्त हो सकता है। पुराणों में गौमाता को मोक्षदायिनी कहा गया है। सनातन संस्कृति में गौसेवा के पुण्य फलों को जन-जन तक पहुंचाने और उपेक्षित गौमाता को जन-जन का प्रिय बनाने के उद्देश्य से श्री बागेश्वर धाम परिवार के द्वारा महाअभियान चलाया जा रहा है जिसका उद्घोष है गौशाला नहीं उपाय, एक हिन्दू एक गाय हर हिन्दू परिवार को गाय का पालन करना चाहिए।
कालांतर में अनेक विदेशी आक्रांताओं के द्वारा सनातन की महान संस्कृति को नष्ट करने के लिए विभाजन की नीति अपनाते हुए हिन्दुत्व के विचार को तोड़कर जातिवाद के विचार को बढ़ावा दिया गया। आज समय आ गया है कि हम सामाजिक समरसता को मजबूत कर हिन्दुत्व को मजबूत करें ताकि फिर कभी षडयंत्रकारी ताकतें हमारी महान सनातन संस्कृति को आपात न पहुंचा सकें। सब हिन्दू एक हो, भारत हिन्दू राष्ट्र हो ।
गुरु की मानने वाले बुद्ध नहीं बल्कि बुद्ध पुरुष होते हैं। जिसका गुरु बलवान होता है उसका चेला पहलवान होता है। एक सामर्थ्यवान गुरू रंक को राजा बना सकता है। लोगों को या तो गुरू को मानना छोड़ देना चाहिए अथवा सब कुछ गुरू पर छोड़ देना चाहिए। जब ऐसा भाव जीवन में आता है तो नालायक भी लायक बन जाते हैं। जैसे हमारे जीवन में पूज्य सन्यासी बाबा श्री दादा गुरु और जगतगुरु पूज्य श्री तुलसी पीठाधीश्वर की अपार अनुकम्पा से चमत्कार घटित हुआ है वहाँ चमत्कार आपके जीवन में गुरुकृपा से घटित हो सकता है।र हो ।
आज हमारे देश की अधिकांश आबादी युवा है और यही युवा देश की प्रबल ऊर्जावान शक्ति है। किन्तु ऐसा देखा जा रहा है कि हमारी युवा कि आज तनाव से जूझ रही है। इसका कारण है अपनी सनातन संस्कृति से दूरी युवान यदि सनातन संस्कृति को अंगीकार करते हुए ध्यान से समाधान की ओर जाएं तो वे इस राष्ट्र को विश्व गुरु बनाने की क्षमता रखते हैं ऐसे ही युवानों के लिए बागेश्वर धाम परिवार सदैव प्रयासरत रहता है। युवा रूपी इस युवा को हमें राष्ट्र की शक्ति बनाना है। आईए आप सभी का स्वागत है।
क्या आप त्रिदेवों के विषय में जानते हैं, क्या आप उनके दर्शन करना चाहते हैं, क्या आप उनसे अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कराना चाहते है तो आईए धरती के त्रिदेवों को जानिये इस धरती पर हमारे माता-पिता और गुरु हो त्रिदेव हैं जो जनरेटर, ऑपरेटर और अहंकार के डिस्ट्रॉयर के रूप में जाने जाते हैं। इसीलिए हम सदा कहते हैं माता-पिता और गुरू का सम्मान करिये। यही आपको सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
जिस तरह एक विवाहित स्त्री माथे पर लगे सिंदूर के माध्यम से पलिव्रता के रूप में पहचानी जाती है उसी तरह सनातनी हिन्दू माथे पर तिलक लगाकर भगवत भक्त के रूप में पहचाना जाता है। जब अन्य पंथों के लोगों अपने प्रतीक चिन्हों को अपनाने में आपत्ति नहीं तो फिर हमारे युवाओं को यह आपत्ति क्यों? आईए सनातन संस्कृति को अपनाएं, तिलक के महत्व को समझें और जीवन में धारण करें।